आओ "आज़ादी आज़ादी तक जंग" का एलान करने वाले इन् राष्ट्रदोहियों की "घर - घर से अफज़ल निकलने " जैसी चुनौती को स्वीकार करते हुए "अफज़ल " के पास भेंजे . ....इससे पहले की ये "भारत को टुकड़े टुकड़े" .."बर्बादी तक जंग " ..अफज़ल अफज़ल और कश्मीर के मिलने तक जंग की बात करें ...."अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" के नाम पर घोर देशद्रोह के पैरोकारों को याद दिला दें ..राजनीतिक लाभ के लिए मुद्दों पर वैचारिक मतभेद हो सकते है परन्तु देश की संप्रभुता एवं अखंडता को खंडित करने का ऐसा दुस्साहस ?????
कि राहुल ग़ांधी और उसका गन्दा ख़ानदान जो भारत की आज़ादी से ही भारत की बर्बादी में संलिप्त है ,खुलेआम देशद्रोहियों का समर्थन करे और हम उसे बीजेपी Vs कांग्रेस / लेफ्ट /अन्य विपक्ष का नाम देकर अपने राष्ट्रीयता एवं नैतिक मूल्यों को भूल जाएँ ??
क्या सच में "देश कि बर्बादी होने तक" या "कश्मीर कि आज़ादी " तक का हम इंतज़ार कर रहे है ????....
सरकार की संवैधानिक कार्यवाही को JNU में अतिक्रमण का नाम देकर उसे सरकार की साजिश का नाम देने वाले ये कहना चाहते है की चंद दिनों पहले जो आवाजें लगायी जा रही थी "देश को बर्बाद " करने की वो देशप्रेम था ???
आखिर दुनिया के किस देश में इस हद तक वैचारिक स्वतंत्रता प्रदत्त है की उसी देश में रहते ,खाते, पीते हुए उसे ही बर्बाद करने का खुले-आम घोष किया जाये ??
इस देश के ही संसाधनो से जीने वाले , हमारे सिपाहियों से सुरक्षा पाने वाले ,हमसे सहयोग और सहानुभूति पाने वाले , देश के पैसों से फ्री पढ़ने वाले ,इसी देश की खिलाफ आतंकियों से सांठ-गांठ करके हमें ही बर्बाद करने का सपना संजोये और हम शांत बैठे क्यों की इस देश की लोकतान्त्रिक व्यवस्था में किसी को भी अपना मत रखने का अधिकार है ???
ऐसा मत जो इस देश को और हमें ही "बर्बाद" करने का सपना पाले हुए है ??
आतंकियों के पैरोकार "देशद्रोही" की परिभाषा समझा रहे है ,वो बता रहे है उन्हें ऐसा करने पे देशद्रोही न बोले क्युकी वह तो उनका नैतिक अधिकार है और उनके इस नैतिक अधिकार का हनन "भगवाकरण" है नाकि देशद्रोह .
उनका कहना है की ,इस हिन्दू बाहुल्य देश में जिसने "वशुधैव कुटुंबकम" की परंपरा के तहत (जातिगत आधार पे देश के दो बंटवारे हो जाने के बावजूद) सभी को सामान अधिकार एवं सम्मान दिया है ,हिन्दू और हिंदुत्व की बात सांप्रदायिक है परन्तु आतंक एवं आतंकवादियों का खुलेआम समर्थन देशप्रेम एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ??? वाह !! क्या देश है ....
क्या राजनीती का स्तर इस हद तक गिर चुका है की राष्ट्रीयता जातिगत वोट और देशद्रोह के अधीन हो गयी है ?? ...मुस्लिम वोट की लालसा इस कदर सर पे सवार है की "देशद्रोह" को ओछे तथ्यों से बचाया जा रहा है ...
मुस्लिम वोट पाने का होड़ लगा है और अपने पछ में करने के लिए :पहले मै -पहले मै " का खेल खुलेआम जारी है ..आतंकवादियों को सम्मानजनक शब्दों (अफजल साब , ओसामा जी...) से उद्बोधित किया जा रहा ..आतंकवादियों को शहीद बताया जा रहा है ... देश को बेचा जा रहा है ...दुश्मनो के हाथ नीलाम किया जा रहा है ??? और राष्ट्रहित में हो रहे संवैधानिक प्रक्रिया को "सरकारी आतंक "एवं दुर्भावना से ग्रसित बताया जा रहा है ???...देश के हालत पे आतंकी ट्वीट करते है .. अपने मंसूबों को सफल होते देख प्रोत्साहित एवं समर्थन ज्ञापित करते है ...और गृहमंत्री के देशहित बयान का उपहास उड़ाते है .... ???
इस नीच मानशिकता ने ही देश को बर्बाद किया ...और स्वयं को असहाय ,सत्ताविहीन पाकर नीचता की पराकाष्ठा पार करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है ..और ये नया प्रयास तथाकथित बुद्धिजीवियों एवं आतंकी के रूप में फैले विद्यार्थियों के माध्यम से कराया जा रहा है .... हमारे आस पास बैठे ये दुश्मन सीमापार के घुसपैठी या आतंकवादी से कही ज्यादा खतरनाक है जो उन्ही के लिए काम करते है हमारे आपके बीच अपनों जैसा बनके ....खुद को प्रोफेसर ,लेखक ,अध्यापक ,विद्यार्थी ,शोधार्थी या समाजसेवी बता के ...
JNU के माध्यम से खुलके सामने आये इन् देशद्रोहियों को सजा देने का समय आ चुका है .वर्षों से इन सबने मिलके व्यवस्था को खोखला किया है ..आओ इनके मंसूबों को हम खोखला करें .... बर्बाद करें इनके "भारत की बर्बाद " करने के आतंकी सपने को ....
इस प्रकरण ने देशव्यापी आतंकी गठजोड़ को उद्घाटित किया है . पूरा देश आश्चर्य में है की इतना पर्दाफास हो जाने के बावजूद समाचार चैनल में बैठे पाखंडी बुद्धिजीवी किस प्रकार से वकालत कर रहे है दोषियों की ??? समर्थन में मानव श्रंखला और शांति मार्च निकाले जा रहे है ???
किस प्रकार से वर्षों से ये सांप पाले पोसे गए है जो अब देश भर के शिक्षण संस्थानों में फ़ैल के विष फैला रहे है .
कही ये तथाकथित पढ़े लिखे देशद्रोही हरामखोर आपके अगल बगल तो नहीं है ....????
भारत सरकार को अब न केवल इन सांपों को JNU से साफ करना है अपितु पूरे देश में सघन अभियान चला के चुन चुन के बहार निकालना होगा . देश बाहर के आतंकी से निपट लेगा परन्तु घर में बैठे इन सपोलों का सफाया तो हो पाये .
कि राहुल ग़ांधी और उसका गन्दा ख़ानदान जो भारत की आज़ादी से ही भारत की बर्बादी में संलिप्त है ,खुलेआम देशद्रोहियों का समर्थन करे और हम उसे बीजेपी Vs कांग्रेस / लेफ्ट /अन्य विपक्ष का नाम देकर अपने राष्ट्रीयता एवं नैतिक मूल्यों को भूल जाएँ ??
क्या सच में "देश कि बर्बादी होने तक" या "कश्मीर कि आज़ादी " तक का हम इंतज़ार कर रहे है ????....
सरकार की संवैधानिक कार्यवाही को JNU में अतिक्रमण का नाम देकर उसे सरकार की साजिश का नाम देने वाले ये कहना चाहते है की चंद दिनों पहले जो आवाजें लगायी जा रही थी "देश को बर्बाद " करने की वो देशप्रेम था ???
आखिर दुनिया के किस देश में इस हद तक वैचारिक स्वतंत्रता प्रदत्त है की उसी देश में रहते ,खाते, पीते हुए उसे ही बर्बाद करने का खुले-आम घोष किया जाये ??
इस देश के ही संसाधनो से जीने वाले , हमारे सिपाहियों से सुरक्षा पाने वाले ,हमसे सहयोग और सहानुभूति पाने वाले , देश के पैसों से फ्री पढ़ने वाले ,इसी देश की खिलाफ आतंकियों से सांठ-गांठ करके हमें ही बर्बाद करने का सपना संजोये और हम शांत बैठे क्यों की इस देश की लोकतान्त्रिक व्यवस्था में किसी को भी अपना मत रखने का अधिकार है ???
ऐसा मत जो इस देश को और हमें ही "बर्बाद" करने का सपना पाले हुए है ??
आतंकियों के पैरोकार "देशद्रोही" की परिभाषा समझा रहे है ,वो बता रहे है उन्हें ऐसा करने पे देशद्रोही न बोले क्युकी वह तो उनका नैतिक अधिकार है और उनके इस नैतिक अधिकार का हनन "भगवाकरण" है नाकि देशद्रोह .
उनका कहना है की ,इस हिन्दू बाहुल्य देश में जिसने "वशुधैव कुटुंबकम" की परंपरा के तहत (जातिगत आधार पे देश के दो बंटवारे हो जाने के बावजूद) सभी को सामान अधिकार एवं सम्मान दिया है ,हिन्दू और हिंदुत्व की बात सांप्रदायिक है परन्तु आतंक एवं आतंकवादियों का खुलेआम समर्थन देशप्रेम एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ??? वाह !! क्या देश है ....
क्या राजनीती का स्तर इस हद तक गिर चुका है की राष्ट्रीयता जातिगत वोट और देशद्रोह के अधीन हो गयी है ?? ...मुस्लिम वोट की लालसा इस कदर सर पे सवार है की "देशद्रोह" को ओछे तथ्यों से बचाया जा रहा है ...
मुस्लिम वोट पाने का होड़ लगा है और अपने पछ में करने के लिए :पहले मै -पहले मै " का खेल खुलेआम जारी है ..आतंकवादियों को सम्मानजनक शब्दों (अफजल साब , ओसामा जी...) से उद्बोधित किया जा रहा ..आतंकवादियों को शहीद बताया जा रहा है ... देश को बेचा जा रहा है ...दुश्मनो के हाथ नीलाम किया जा रहा है ??? और राष्ट्रहित में हो रहे संवैधानिक प्रक्रिया को "सरकारी आतंक "एवं दुर्भावना से ग्रसित बताया जा रहा है ???...देश के हालत पे आतंकी ट्वीट करते है .. अपने मंसूबों को सफल होते देख प्रोत्साहित एवं समर्थन ज्ञापित करते है ...और गृहमंत्री के देशहित बयान का उपहास उड़ाते है .... ???
इस नीच मानशिकता ने ही देश को बर्बाद किया ...और स्वयं को असहाय ,सत्ताविहीन पाकर नीचता की पराकाष्ठा पार करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है ..और ये नया प्रयास तथाकथित बुद्धिजीवियों एवं आतंकी के रूप में फैले विद्यार्थियों के माध्यम से कराया जा रहा है .... हमारे आस पास बैठे ये दुश्मन सीमापार के घुसपैठी या आतंकवादी से कही ज्यादा खतरनाक है जो उन्ही के लिए काम करते है हमारे आपके बीच अपनों जैसा बनके ....खुद को प्रोफेसर ,लेखक ,अध्यापक ,विद्यार्थी ,शोधार्थी या समाजसेवी बता के ...
JNU के माध्यम से खुलके सामने आये इन् देशद्रोहियों को सजा देने का समय आ चुका है .वर्षों से इन सबने मिलके व्यवस्था को खोखला किया है ..आओ इनके मंसूबों को हम खोखला करें .... बर्बाद करें इनके "भारत की बर्बाद " करने के आतंकी सपने को ....
इस प्रकरण ने देशव्यापी आतंकी गठजोड़ को उद्घाटित किया है . पूरा देश आश्चर्य में है की इतना पर्दाफास हो जाने के बावजूद समाचार चैनल में बैठे पाखंडी बुद्धिजीवी किस प्रकार से वकालत कर रहे है दोषियों की ??? समर्थन में मानव श्रंखला और शांति मार्च निकाले जा रहे है ???
किस प्रकार से वर्षों से ये सांप पाले पोसे गए है जो अब देश भर के शिक्षण संस्थानों में फ़ैल के विष फैला रहे है .
कही ये तथाकथित पढ़े लिखे देशद्रोही हरामखोर आपके अगल बगल तो नहीं है ....????
भारत सरकार को अब न केवल इन सांपों को JNU से साफ करना है अपितु पूरे देश में सघन अभियान चला के चुन चुन के बहार निकालना होगा . देश बाहर के आतंकी से निपट लेगा परन्तु घर में बैठे इन सपोलों का सफाया तो हो पाये .
हिन्दू और हिंदुत्व की बात सांप्रदायिक है परन्तु आतंक एवं आतंकवादियों का खुलेआम समर्थन देशप्रेम एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता .... वैसे तो 2014 के चुनाव में जनता ने ये दिखा दिया था कि इस के संसद मे apposition में बैठने लायक कोई Party नही है और 2019 के चुनाव के बाद पता चलेगा की संसद में बैठने लायक कोई Party नही है except नरेन्द्र मोदी... जय हिंद...भारतमाता की जय ।।।
ReplyDeleteहिन्दू और हिंदुत्व की बात सांप्रदायिक है परन्तु आतंक एवं आतंकवादियों का खुलेआम समर्थन देशप्रेम एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता .... वैसे तो 2014 के चुनाव में जनता ने ये दिखा दिया था कि इस के संसद मे apposition में बैठने लायक कोई Party नही है और 2019 के चुनाव के बाद पता चलेगा की संसद में बैठने लायक कोई Party नही है except नरेन्द्र मोदी... जय हिंद...भारतमाता की जय ।।।
ReplyDeleteJNU में एक खत ने दोबारा मचाई अशांति
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